Mohammed Rafi - Hoke Majboor Mujhe
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होके मजबूर, मुझे उसने भुलाया होगा
होके मजबूर, मुझे उसने भुलाया होगा
ज़हर चुपके से दवा जान के खाया होगा
होके मजबूर, मुझे उसने भुलाया होगा
होके मजबूर, मुझे
दिल ने ऐसे भी कुछ अफ़साने सुनाए होंगे
दिल ने ऐसे भी कुछ अफ़साने सुनाए होंगे
अश्क आँखों ने पिए और ना बहाए होंगे
बंद कमरे में जो ख़त मेरे जलाए होंगे
एक इक हर्फ़ जबीं पर उभर आया होगा
होके मजबूर, मुझे उसने भुलाया होगा
होके मजबूर, मुझे
उसने घबरा के नज़र लाख बचाई होगी
उसने घबरा के नजर लाख बचाई होगी
दिल की लुटती हुई दुनिया नज़र आई होगी
मेज़ से जब मेरी तस्वीर हटाई होगी
मेज़ से जब मेरी तस्वीर हटाई होगी, हाय
हर तरफ़ मुझको
हर तरफ़ मुझको तड़पता हुआ पाया होगा
होके मजबूर, मुझे उसने भुलाया होगा
होके मजबूर, मुझे
छेड़ की बात पे अरमाँ मचल आए होंगे
छेड़ की बात पे अरमाँ मचल आए होंगे
ग़म दिखावे की हँसी में उबल आए होंगे
नाम पर मेरे जब आँसू निकल आए होंगे
नाम पर मेरे जब आँसू निकल आए होंगे
सर ना काँधे से
सर ना काँधे से सहेली के उठाया होगा
होके मजबूर, मुझे उसने भुलाया होगा
होके मजबूर, मुझे
ज़ुल्फ़ ज़िद करके किसी ने जो बनाई होगी
ज़ुल्फ़ ज़िद करके किसी ने जो बनाई होगी
और भी ग़म की घटा मुखड़े पे छाई होगी
बिजली नज़रों ने कई दिन ना गिराई होगी
रंग चहरे पे कई रोज़ ना आया होगा
होके मजबूर, मुझे उसने भुलाया होगा
ज़हर चुपके से दवा जान के खाया होगा
होके मजबूर, मुझे
होके मजबूर, मुझे उसने भुलाया होगा
ज़हर चुपके से दवा जान के खाया होगा
होके मजबूर, मुझे उसने भुलाया होगा
होके मजबूर, मुझे
दिल ने ऐसे भी कुछ अफ़साने सुनाए होंगे
दिल ने ऐसे भी कुछ अफ़साने सुनाए होंगे
अश्क आँखों ने पिए और ना बहाए होंगे
बंद कमरे में जो ख़त मेरे जलाए होंगे
एक इक हर्फ़ जबीं पर उभर आया होगा
होके मजबूर, मुझे उसने भुलाया होगा
होके मजबूर, मुझे
उसने घबरा के नज़र लाख बचाई होगी
उसने घबरा के नजर लाख बचाई होगी
दिल की लुटती हुई दुनिया नज़र आई होगी
मेज़ से जब मेरी तस्वीर हटाई होगी
मेज़ से जब मेरी तस्वीर हटाई होगी, हाय
हर तरफ़ मुझको
हर तरफ़ मुझको तड़पता हुआ पाया होगा
होके मजबूर, मुझे उसने भुलाया होगा
होके मजबूर, मुझे
छेड़ की बात पे अरमाँ मचल आए होंगे
छेड़ की बात पे अरमाँ मचल आए होंगे
ग़म दिखावे की हँसी में उबल आए होंगे
नाम पर मेरे जब आँसू निकल आए होंगे
नाम पर मेरे जब आँसू निकल आए होंगे
सर ना काँधे से
सर ना काँधे से सहेली के उठाया होगा
होके मजबूर, मुझे उसने भुलाया होगा
होके मजबूर, मुझे
ज़ुल्फ़ ज़िद करके किसी ने जो बनाई होगी
ज़ुल्फ़ ज़िद करके किसी ने जो बनाई होगी
और भी ग़म की घटा मुखड़े पे छाई होगी
बिजली नज़रों ने कई दिन ना गिराई होगी
रंग चहरे पे कई रोज़ ना आया होगा
होके मजबूर, मुझे उसने भुलाया होगा
ज़हर चुपके से दवा जान के खाया होगा
होके मजबूर, मुझे